In the matter of Satvir Singh And Ors vs State Of Punjab And Anr, Supreme Court (SC) defines occasions related to Dowry. Bench at SC defines three occasions of dowry, Before, after and Time of Marriage
“there are three occasions related to dowry. One is before the marriage, second is at the time of marriage and the third is at any time after the marriage. The third occasion may appear to be an unending period. But the crucial words are “in connection with the marriage of the said parties”. Other payments which are customary payments e.g. given at the time of birth of a child or other ceremonies as are prevalent in different societies are not covered by the expression dowry”
जबतक है,काला काला क्रूर महिला एकतरफा कानून,
एवंम महिला आयोग,
राजनेताओंकी vote bank ,
ओल्ड महिला ngo’s शिर्फ़ महिलाके लिए।
जबतक नाही बदलाव kj to pg एड सिस्टम,
BSW, MSW के अभ्यासक्रम नाही बदलत हम,
जबतक1098 शिर्फ़ चाइल्ड हेल्प लाइन ही होता नाही
दबाव गट का प्रभाव होना चाहिए बंद।
पुलिस और कोर्ट वकील और जज होनाही चाहिए
ईमानदार ??
जबतक दोनों फैमिली के सदस्य
साथमे बैठकर जो ठराव किया कानूनके हिसाबसे रखो सामने न पेपर।
दोनों फैमिली की प्रॉपर्टी देखो
शादीके समय महिलाओंका हिन्दू वारसा रजिस्टर करो
दोनों फॅमिलीक़ी प्रॉपर्टी सामने रखो
समान बेटीके हिस्से करो। ऑन पेपर नामपे
दोनोंकी कमाई,एजुकेशन एटक सच होनाही चाहिए
लेलो pratidnyaa पत्र लिखकर
अगर गलती चसन्निमे vhui तो 340 उधरहि लगाव
एकही कोर्टमे आप्लिकेशन रखो
अगर कोई जज या वकील या पोलिस गलत करे तो
किया तो करो सजा same टाइम सबको एकही जेल
कोई फुकट नाही खायेगा।
शादी करो एक्सालकेबादभी अगर divorce नाही होता।
जिम्मेदार पुलिस न कोर्टको और
वहांके पुलिस मोहल्ला कमेटीकी।
बच्चोंके लिए हरेक पोलिस स्तन.के साइड कोर्ट रखो।
लेकिन क़लम लगानेका हक्क पुलिस को नही होना चाहिए.